बटाई पर लिये खेत पर हो रही थी जुताई
मूर्ति देख कौतूहल मचा पूजा अर्चना शुरू हो गई
लखनऊ '। राजधानी लखनऊ के नगराम इलाके के कुशभिटा गांव में शनिवार दोपहर एक खेत में ट्रैक्टर से जुताई के दौरान प्राचीन मूर्ति निकली। मूर्ति देख गांव वालों की भीड़ मौके पर जमा हो गई। पौराणिक काल की मूर्ति के पीछे लिखी लिपि को लोग पढ़ने की कोशिश करने लगे। इसी बीच कुछ गांववालों ने भगवान गणेश की आकृति में मूर्ति देख पूजा-पाठ शुरू कर दी। इसी बच कुछ लोगों ने भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को भी मूर्ति की तस्वीरें व्हाट्सएप पर भेजीं। जिसको देखकर पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने इस मूर्ति को 11वीं व 12वीं सदी का बताया। उन्होंने कहा कि 18 नवंबर को टीम पड़ताल करने के बाद ही इसका पूरा इतिहास बता पायेगी। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने मूर्ति के पीछे अंकित लेख को देवनागरी भाषा में लिखा हुआ बताया। सूचना पाकर मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंच गये। उन्होंने मूर्ति को खेत से निकालकर एक पेड़ के नीचे रख दिया। कुछ लोगों ने फूल चढ़ाए तो कुछ ने पूजा अर्चना भी शुरू कर दी। सूचना पाकर मौके पर पुलिस भी पंहुच गई।
:नगराम के कुशभिटा गांव के निवासी राम करन ने बताया कि पीजीआई के ऊसर बरौली गांव निवासी राम खेलावन का कुशाभिटा गांव के पास खेत है। जिसको उसने बटाई पर ले रखा है। शुक्रवार की सुबह वह ट्रैक्टर से खेत मे ंजुताई कर रहा था तभी एक बड़ा पत्थर फंस गया। देखने पर एक पुरानी मूर्ति जैसी दिख़ायी दी। जिसके पीछे प्राचीन लिपी मे कुछ लेख लिखा हुआ था। अवकाश बताकर पुरातत्व के अधिकारी मौके पर जाने से मुकरे :अवकाश होने के चलते पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने सोमवार को टीम भेजने की बात कही जिसपर गांव वालों ने सवाल खड़े कर दिये।
मूर्ति को देख ग्रामीणों में कौतुहल मचा रहा। लोगों ने मूर्ति को उठाकर गांव के बाहर एक पेड़ के नीचे लाकर रख दिया। मूर्ति मिलने की खबर पूरे क्षेत्र में फैल गयी। इसके बाद मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। इस बीच, गांव के शिक्षा मित्र प्रमोद रावत, भगवानदीन, दुर्गेश, सुरेश, राजा, चंद्रभान यादव, बुद्धा ने का कहना है कि मूर्ति पुरातनकाल की प्रतीत होती है। इसलिए संबंधित विभाग को तुरंत आकर यहां जांच करनी चाहिए। फोटो देखने के बाद 11वीं शताब्दी की मूर्ति लग रही है। वहां जाकर ही उसकी पड़ताल सोमवार को की जायेगी। खेत में मूर्ति कैसे मिली। इस पर भी वहां टीम पहुंचकर जांच करने के बाद ही बता पायेगी।
इंदु प्रकाश, सुपरीटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट भारतीय पुरातत्व विभाग प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि देवनागरी लिपि अंकित है। मूर्ति प्राचीन काल की है। शुरुआत ओम गणपति नम: से है और आखिरी पंक्ति बैशाख शुक्ल पक्ष तक पढ़ने में आ रहा है। बाकी आगे जांच के बाद स्थिति स्पष्ट हो पायेगी। प्रोफेसर प्रशांत श्रीवास्तव, पुरालिपि एवं मुद्रा शास्त्र के विशेषज्ञ लखनऊ विश्वविद्यालय