वर्तमान पद से पदावनत कर बनाये गये मुख्य अभियन्ता
लखनऊ। प्रदेश सरकार के निर्धारित कर्तव्यों एवं दायित्वों का सही रूप से निर्वहन न कर पाने तथा अपने अधीनस्थों पर प्रभावी नियन्त्रण न रख पाने के कारण पूर्वांचल डिस्काम में विद्युत आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित रही, जिससे उपभोक्ताओं को अत्यधिक विद्युत कटौती से हुयी परेशानी को देखते हुये पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निदेशक (तकनीकी) अंशुल अग्रवाल को निदेशक पद से हटा कर मुख्य अभियन्ता पद पर पदावनत किया गया है।
ऊर्जा विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि अंशुल अग्रवाल को 26 जून 2018 को निदेशक (तकनीकी) पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि , वाराणसी के पद पर नियुक्ति प्रदान की गयी थी। अग्रवाल की तैनाती अवधि में वाराणसी (नगर) में स्थित 33/11 केवी मछोदरी विद्युत उपकेन्द्र, वाराणसी में विगत 7 जुलाई 2019 को लगभग 18 घण्टे का विद्युत व्यवधान हुआ। 21 जुलाई 2019 को इसी विद्युत उपकेन्द्र पर लगभग 36 घण्टे से अधिक अवधि का विद्युत व्यवधान हुआ, जिसकी जाॅच उप्र पावर कारपोरेशन लि (मु) स्तर से कराने पर पाया गया कि मछोदरी उपकेन्द्र को एक अन्य उपकेन्द्र आईडीएच से दी जाने वाली वैकल्पिक आपूर्ति हेतु केबिल को ठीक कराकर व्यवस्थित नहीं किया गया तथा मछोदरी उपकेन्द्र की मेन लाइन में उपलब्ध स्पेयर केबिल को भी ठीक नहीं कराया गया।
जाॅच में आया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि में खराब परिवर्तकों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई और इन परिवर्तकों को उप्र शासन द्वारा निर्धारित अवधि में न बदले जाने के कारण पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि के अन्तर्गत जनपदों में गम्भीर शिकायतें सामने आई जिसके कारण विद्युत उपभोक्ताओं को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उप्र पावर कारपोरेशन लि के स्तर पर समीक्षा में पाया गया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि के विभिन्न जनपदों में लगभग 2500 अद्द वितरण परिवर्तक लम्बे समय से खराब पड़े है और विद्युत वितरण निगम की कार्यशालाओं में खराब परिवर्तकों को समयबद्ध रूप से मरम्मत करने की कार्यवाही का अनुश्रवण नहीं किया गया।इन गम्भीर बिन्दुओं पर श्री अग्रवाल पावर कारपोरेशन द्वारा स्पष्टीकरण मांगा गया। तत्पश्चात चयन समिति की संस्तुतियों के आधार पर मुख्य मंत्री एवं ऊर्जा मंत्री की संस्तुति के बाद शासन द्वारा इन्हें निदेशक पद से हटाने का निर्णय लिया गया।
मछोदरी उपकेन्द्र प्रकरण में लापरवाही पर पूर्व में ही मुख्य अभियन्ता एवं अधीक्षण अभियन्ता को आरोप पत्र दिया गया है और अधिशासी अभियन्ता, उपखण्ड अधिकारी एवं दो अवर अभियन्ताओं के विरूद्ध भी विभागीय कार्यवाही करते हुये आरोप पत्र दिये गये है।पर्यवेक्षण में शिथिलता बरतने के लिये तत्कालीन प्रबन्ध निदेशक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम गोविन्द एस राजू का भी स्पष्टीकरण मांगा गया था जिसका परीक्षण कर उन्हें भी हटाया जा चुका है।
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने कहा है कि प्रदेश की विद्युत व्यवस्था सुचारू एवं बेहतर रहे इसके लिये जरूरी है कि सभी अधिकारी एवं कर्मचारी अपने निर्धारित दायित्वों एवं कर्तव्यों को पूरी निष्ठा, मेहनत एवं ईमानदारी से निर्वहन करें, इसमें की गयी लापरवाही से उपभोक्ताओं को परेशानी उठानी पड़ती है जो किसी भी दृष्टि से क्षम्य नही है। उपभोक्ता हितों के साथ लापरवाही बरतने वालों पर सख्त कार्यवाही की जायेगी।