एक दूसरे के मजहब के एहितराम से ही सौहार्द होता है
आरती और अजान देती है आवाज-अब तुम्हारी बारी
बोले लोग ये खुशबू जहां तक बिखरे
यहां के लोग मिलजुल कर रहते हैं यह एक मिसाल है
यह कस्बा गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है
वजीरगंज थाने से सटी मस्जिद व मंदिर के बीच केवल थाने की बाउंड्री की दूरी है। नगवा में मंदिर के सामने भी मस्जिद सांप्रदायिक सौहार्द की पहचान है। कोंडर में मदरसा और शिव मंदिर के बीच केवल दो मीटर चौड़ी सड़क का फासला है। रौजा में ख्यतिलब्ध गाजी-ए-पाक की दरगाह व राम सेवक जायसवाल के घर के बगल मंदिर भी एक दूसरे के पड़ोसी हैं। इसके अलावा करौंदा में मंदिर व मस्जिद की दीवारें एक हैं। इन सभी धार्मिक स्थलों में समय पर धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
मौलाना ताहिर अली कहते हैं कि भाईचारा सबसे पहले है, जिस तरह से यहां के लोग मिलजुल कर रहते हैं यह एक मिसाल है। उन्होंने कहा कि एक दूसरे के मजहब के एहितराम से ही सौहार्द होता है। दुर्गा मंदिर के पुजारी पंडित माहेश्वरी मिश्रा कहते हैं कि हम लोग एक साथ नहीं रहेगें तो समाज प्रभावित होगा। उन्होंने बताया कि दुर्गा पूजा पर मुस्लिम भाई बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। कस्बे के अन्नू गोस्वामी, शुभम गुप्ता, सुशील भारती, हरीश गोस्वामी, राजेश बाबा, मुस्लिम समुदाय के दद्दन खां, एजाज हुसैन, मेराज, मोहम्मद अमीन, इम्तियाज भी एकता पर जोर देते हैं। कहते हैं हमारा कस्बा गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है।