लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस-वे पर होने वाली दुर्घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए आज लोक भवन के कमान्ड सेंटर में उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा ट्रैफिक इंजीनियरिंग और सड़क सुरक्षा पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। कार्यशाला मंे काउंसिल आफ साईंटिफिक एण्ड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) तथा सेन्ट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) के विशेषज्ञों द्वारा यूपीडा की तकनीकी टीम को सड़क निर्माण से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी जायेगी।
अपर मुख्य सचिव, गृह, सूचना एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी यूपीडा अवनीश कुमार अवस्थी ने कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए कहा कि एक्सप्रेस-वे पर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रोड सेफ्टी की व्यवस्था अत्यन्त आवश्यक है। ओवर स्पीडिंग, नशे की हालत में वाहन चलाना, ड्राइवर को वाहन चलाते समय नींद आना और मार्ग सेफ्टी फीचर्स न होना दुर्घटना के प्रमुख कारण है। इसके अलावा एक्सप्रेस-वे पर अचानक पशुओं के आने तथा रोड पर खड़े वाहन भी दुर्घटना का कारण बनते हंै। इसी वजह से लगभग हर वर्ष 20 हजार एक्सीडंेट होते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सड़क दुर्घटनाओं पर रोक थाम के प्रति बेहद गंभीर है। इस संबंध में यूपीडा द्वारा उठाये गये कदमों से दुर्घटनाओं को कम करने में काफी हद तक सफलता भी मिली है।
श्री अवस्थी ने कहा कि एक्सप्रेस-वे पर एक्सीडंेट्स की संख्या आधी करने के लिए विभिन्न उपाय किये जा रहे हैं। सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से ओवर स्पीडिंग पर लगाम लगाई जा रही है। तीन घंटे से कम समय में एक्सप्रेस-वे पार करने वाले लोगों का चालान भी किया जा रहा है। एक्सप्रेस-वे पर आने वाले पशुओं को पकड़ने के लिए कैटेल कैचिंग गैंग लगाई गई है। उन्होंने कहा कि सभी मामलों में सख्ती करके रोड सेफ्टी के उपयों को कारगर बनाया जा रहा है।
गोष्ठी में एक्सप्रेस वे पर ट्रैफिक की सुरक्षा हेतु विभिन्न प्रकार के साइनेज, वाहनों की गति को नियंत्रित रखने के संबंध में मार्ग पर पेवमेंट मार्किंग एवं रंबल स्ट्रिप इत्यादि की उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। एक्सप्रेस-वे की परिकल्पना के स्टेज पर मार्ग पर कर्व तथा वर्टिकल ग्रेडियंट इत्यादि को इस प्रकार से निर्धारित करने पर बल दिया गया, जिससे यात्रियों को समुचित साइट डिस्टेंस का पता चल सके। इस गोष्ठी में इस बात पर बल दिया गया कि एक्सप्रेस वे पर लगभग 50 किलोमीटर के अंतराल पर रेस्ट एरिया का निर्माण किया जाए, ताकि यात्रियों को थकावट की स्थिति में अपनी यात्रा को ब्रेक करने के लिए विभिन्न सुविधाओं यथा टॉयलेट,रेस्टोरेंट, फ्यूल स्टेशन, वाहन की मरम्मत की सुविधा से युक्त रेस्ट एरिया उपलब्ध हों।
कार्यशाला विशेषज्ञो ने बताया कि अधिकतम रोड क्रैश वाहनों की ओवर स्पीडिंग अथवा यात्रियों की थकावट की स्थिति में झपकी आने से होते है। उन्होंने वाहनों की ओवर स्पीडिंग को रोकने के लिए एडवांस्ड ट्रेफिक मैनेजमेंट सिस्टम के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। गोष्ठी में विभिन्न प्रकार के साइन एज की उपयोगिता के संबंध में चर्चा की गई तथा साईनेज में सूचना को इस प्रकार से डिस्प्ले करने पर बल दिया गया,जिससे रोड यूजर को साइनेज पर लिखे मैसेज,सूचना को पढ़ने में असुविधा ना हो।