...आम की स्वाभाविक रूप से फसल कमजोर होगी

आम के बौर बहुत कम संख्या में निकले हैं 


 बारिश और ठंड के कारण आम के बागों पर रोग का प्रकोप कम हुआ


इस वर्ष मिज कीट ने किसानों को परेशान किया


 

लखऊ। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) लखनऊ के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन के अनुसार इस वर्ष जनवरी में हुई अत्यधिक सर्दी ने भुनगा कीट का वंश नाश किया तो लगातार वर्षा ने थ्रिप्स कीट को मिट्टी में ही मार दिया। जिसके परिणामस्वरूप यह दोनों कीट अभी तक अधिकंाश बागों में कम दिखे। भुनगा तो फिर भी कहीं-कहीं है लेकिन थ्रिप्स अभी तक पिछले वर्ष की तरह कहीं नहीं दिखा। आम के बौर बहुत कम संख्या में निकले हैं इसलिए स्वाभाविक रूप से फसल कमजोर होगी। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पी के शुक्ला ने बताया कि सहारनपुर में 19 मार्च तथा लखनऊ और बाराबंकी जिलों के बागों में 28 मार्च तक के निरीक्षण के आधार पर यह उपरोक्त जानकारी दी जा रही है। कोरोना महामारी के मद्देनजर लॉकडाउन के बाद भी यह बात संस्थान के व्हाट्सएप समूहों पर और मोबाइल पर आ रहे किसानों के संदेशों के आधार पर वर्तमान में भी लगभग यही स्थिति है।

अप्रैल का महीना आदमी और आम दोनों के ही स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मनुष्य तो इन दिनों कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की समस्या से जूझ रहा है उधर आम के बागों में भी ध्यान देने की जरूरत है। वैसे ही इस बार आम की फसल कम है लेकिन यदि ध्यान नहीं दिया गया तो रही सही फसल के भी नष्ट होने की संभावना बढ़ जाती है। इस बार लंबे समय तक सर्दी और असमय बारिश के कारण देर से आम के बौर कम संख्या में निकले और उन्हें कीट एवं व्याधियों के प्रकोप की कम समस्याएं झेलनी पड़ीं। अधिक बारिश और ठंड के कारण आम के बागों पर रोग का प्रकोप कम हुआ।

 

पिछले दो दिन में किसानों से प्राप्त संदेशों और फरवरी से अभी तक बागों के निरीक्षण के आधार पर स्पष्ट है कि इस वर्ष मिज कीट ने किसानों को परेशान किया। यह शुरू से ही बौर को क्षति करता रहा और अब नन्हें फलों को भी क्षति पहुंचा रहा है। इस कीट की फलों पर उपस्थिति की पहचान छोटे से काले धब्बे, जिसके बीचों बीच बारीक छेद हो, से की जाती है। इसका प्रबंधन क्विनाल्फोस 25 ई सी के दो मिलीलीटर या डाईमेथोएट 30 ई सी के दो मिलीलीटर प्रति लीटर के छिड़काव से किया जा सकता है। अगर किसी बाग में भुनगा बढ़ रहा हो तो थायमेथोकजाम 25 डब्लूजी के एक ग्राम प्रति तीन लीटर पानी का छिड़काव किया जा सकता है। अधिक नमी होने की स्थिति में नन्हें फलों और नई पत्तियों पर एंथ्रेक्नो$ज रोग होने की संभावना बनी हुई है। इस पर नियंत्रण के लिए इस समय डाई$फेनोकॉना$जोल पांच एस एल के 0.5 मिलीलीटर या कार्बेंडा$िजम 50 डब्लू पी के एक ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव कीटनाशक के साथ मिलाकर कर सकते हैं।

इस वर्ष लगातार हुई वर्षा के कारण अभी भसचाई  की अधिक जरूरत नहीं है लेकिन फलों की अच्छी वृद्धि के लिए अभी से 10 से 12 दिन बाद ङ्क्षसचाई जरूर करें। नन्हें फलों को झडऩे से बचाने के लिए प्लानोफिक्स 4.5 प्रतिशत के 0.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का भी छिड़काव कर सकते हैं। फलों की अच्छी वृद्धि के लिए एनपीके 19-19-19 के पांच ग्राम और सूक्षम पोषक तत्व मिश्रण के 5 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव किया जा सकता है।  

ध्यान रखें कि कीट और रोग नाशी के साथ उर्वरक न मिलाएं। जिन किसानों ने परागण कीटों को बढ़ावा देने के लिए और थ्रिप्स कीट को मिट्टी से निकलने से रोकने के लिए अभी तक जुताई नहीं की है, वे 15 अप्रैल के बाद अगर जरूरी समझें तो खरपतवार नियंत्रण के लिए जुताई कर सकते हैं। अभी भी कई स्थानों पर खर्रा रोग के लिए तापमान अनुकूल है और यह विलंबित बौर को क्षति कर सकता है। इसके प्रबंधन हेतु आवश्यक लगे तो हेक्सएकोना$जोल 5 एसएलके एक मिलीलीटर प्रति लीटर का छिड़काव कर सकते हैं।