...जनता ने पीएम केयर फंड में  करीब 9 हजार करोड़ की राशि अब तक जमा कर दी है
28 मार्च को मोदी ने कोरोना वायरस के खिलाफ पीएम-केयर फंड के गठन की घोषणा की थी

 

अमेरिका ने 64 देशों के लिए 274 मिलियन डॉलर की विदेशी सहायता की घोषणा की थी

 

...अब पीएम केयर फंड पर विवाद खड़ा कर कांग्रेस को क्या हासिल हुआ? 



भारतीय मूल के व्यक्तियों से पीएम केयर्स फंड के लिए धन जुटाने के लिए कहा था


प्रधानमंत्री के रूप में उनके हर निर्णय का अंधविरोध आखिरकार उनके लिए सियासी रूप से फायदेमंद ही साबित होता है


प्रधानमंत्री राहत कोष में डोनेट करना बिल्‍कुल आसान है


पीएम केयर्स फंड में विदेशों से भी चंदा लेने को सरकार ने दी मंजूरी


विदेशी व्यक्तियों और समूहों  को दान देने के लिए आमंत्रित किया  


पीएम केयर्स फंड में विदेशों से भी चंदा लेने को सरकार ने दी मंजूरी। इस सप्ताह भारतीय राजदूतों के साथ वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनयिकों को अनिवासी भारतीयों और भारतीय मूल के व्यक्तियों से पीएम केयर्स फंड के लिए धन जुटाने के लिए कहा था। भारत सरकार ने कोरोना वायरस ‘महामारी की अभूतपूर्व प्रकृति’ के कारण विदेशी व्यक्तियों और समूहों को नव-गठित पीएम केयर्स फंड में दान करने की अनुमति दी है। रिपोर्ट के अनुसार, बीते 28 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई के हिस्से के रूप में एक नए चैरिटेबल ट्रस्ट- ‘प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपातकाल’ में राहत (पीएम-केयर) फंड के गठन की घोषणा की थी। इस सप्ताह भारतीय राजदूतों के साथ अपने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान मोदी ने राजनयिकों को अनिवासी भारतीयों और भारतीय मूल के व्यक्तियों से पीएम केयर्स फंड के लिए धन जुटाने के लिए कहा था। चूंकि, पिछली आपदाओं के दौरान भारत सरकार की आम तौर पर विदेशी सहायता स्वीकार नहीं करने की नीति रही है, इसलिए इस बात पर थोड़ा भ्रम था कि विदेशी मूल के लोग राष्ट्रनिधि में योगदान कर सकते हैं या नहीं। बुधवार को सरकारी सूत्रों ने यह साफ कर दिया कि पीएम केयर्स फंड के संबंध में यह फैसला लिया जा चुका है कि विदेशी व्यक्तियों और समूहों को दान देने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।


उन्होंने कहा, कोरोना वायरस के खिलाफ सरकार की लड़ाई में सहयोग के लिए भारत और विदेश से कई अनुरोध मिलने के बाद पीएम केयर्स फंड नाम का एक सार्वजनिक चैरिटेबल ट्रस्ट गठित किया गया था। सरकार के प्रयासों में योगदान के साथ-साथ महामारी की अभूतपूर्व प्रकृति को ध्यान में रखते हुए व्यक्त की गई रुचि के मद्देनजर, ट्रस्ट में भारत और विदेश दोनों जगह रह रहे व्यक्तियों और संगठनों द्वारा योगदान किया जा सकता है। हालांकि, यह साफ नहीं हो सका कि भारत विदेशी सरकारों से भी सहायता स्वीकार करेगा या नहीं। सूत्रों का कहना है कि कोरोना वायरस पर भारत को वित्तीय सहायता देने के लिए किसी भी सरकार ने कोई प्रस्ताव नहीं दिया है। बता दें कि, अमेरिका ने 64 देशों के लिए 274 मिलियन डॉलर की विदेशी सहायता की घोषणा की थी, जिसमें भारत भी शामिल था. लेकिन सूत्रों के अनुसार, यह भारत के लिए प्रत्यक्ष सहायता नहीं थी, बल्कि देश में रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के काम को मजबूत करने के लिए थी। साल 2004 में आई सुनामी से ही भारत ने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत के रूप में विदेशी सरकारों के सहायता प्रस्तावों को लगातार खारिज किया है। हालांकि, अब भारत ने प्रधानमंत्री राहत कोष और मुख्यमंत्री राहत कोष में एनआरआई, पीआईओ और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सहयोग राशि स्वीकार करने को मंजूरी दे दी।


ब नए पीएम केयर फंड की बात करें तो यह स्पष्ट किया जा चुका है कि प्रधानमंत्री पदेन इस ट्रस्ट के अध्यक्ष होंगे उनके साथ रक्षा, गृह और वित्त मंत्री भी पदेन सदस्य होंगे। इनके अलावा समाजसेवा, वित्त, आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों के भी स्वतंत्र लोग इसके सदस्य नामित किये जायेंगे।कोई भी राजनीतिक व्यक्ति इस ट्रस्ट में नहीं होगा जैसा पीएम रिलीफ फंड में कांग्रेस अध्यक्ष को रखा गया था। कांग्रेस या उसके द्वारा 70 साल से वित्त पोषित होते आ रहे वामपंथियों का विरोध तर्कसंगत होता अगर पीएम अपनी पार्टी के अध्यक्ष को नेहरू जी की तरह इस ट्रस्ट में सदस्य नामित करते। सरकार ने इसके ऑडिट की घोषणा भी कर दी है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने सीएसआर मद के जरिये इस ट्रस्ट में धन जुटाने के लिए जो प्रावधान किया है, उससे राज्य सरकारों के सामने धन जुटाना मुश्किल हो गया है। इस आरोप की हकीकत यह है कि 2013 में सीएसआर व्यय के नियमों का यह प्रावधान तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने ही किया था। यही नहीं जिस आपदा अधिनियम 2005 के अंतर्गत केंद्रीय सरकार को ऐसे कोष बनाने का अधिकार प्राप्त है, वह भी मनमोहन सिंह के दौर में बना है। इसी अधिनियम के तहत लॉकडाउन घोषित किया गया है और यह राज्यों को भी राज्य आपदा कोष बनाने की अनुमति देता है। सुप्रीम कोर्ट में यह चुनौती दी गई थी कि केंद्र ने बगैर संसद की अनुमति के यह फंड शुरू कर दिया लेकिन मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने नाराजगी के साथ याचिकाकर्ता को फटकार लगाई कि यह कोई नया टैक्स नहीं है जिसकी अनुमति ली जाये। जाहिर है तकनीकी तौर पर भी पीएम केयर फंड को चुनौती देने के प्रयास केवल मोदी की आलोचना और अंध विरोध के असफल प्रयास ही साबित हुए।


सवाल यह है कि पीएम केयर फंड पर विवाद खड़ा कर कांग्रेस को क्या हासिल हुआ? जनता ने करीब 9 हजार करोड़ की राशि अबतक मोदी के आह्वान पर जमा कर दी है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हर कार्यकर्ता से न्यूनतम 100 रुपए स्वयं और अन्य पांच लोगों से दान की अपील की है।जाहिर है मोदी की अपील पर करोड़ों नागरिक कांग्रेस की दलीलों को खारिज कर इस फंड में धन जमा कर रहे हैं। यानी जन अपील के मामले में अनावश्यक कांग्रेस ने खुद की हार मोदी के हाथों लिख ली। अभीतक लोगों को यह नहीं पता था कि पीएम रिलीफ फंड की कमेटी में कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष भी एक सदस्य होता है। संविधान लागू होने से पहले ही 1948 में नेहरू जी ने मूल रूप से इस फंड की व्यवस्था पाकिस्तान से आने वाले हिन्दू शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए की थी। आज की तरह उस वक्त भी टाटा परिवार ने देश की मदद में उदारता दिखाई थी इसलिए बतौर सदस्य टाटा घराने के सदस्य को भी इस कमेटी में रखा गया था। असल में नेहरू जी को कल्पना ही नहीं होगी कि कांग्रेस के ऐसे दिन भी आयेंगे जब लगातार दूसरी बार वह लोकसभा में विपक्ष के नेता लायक सीटें नहीं जीत पायेगी। इसीलिए पीएम फंड कमेटी में कांग्रेस पार्टी के मुखिया को रखा गया। क्या आज के संदर्भ में अकेले कांग्रेस अध्यक्ष का इस कमेटी में रहना उपयुक्त है? हालांकि पीएम रिलीफ फंड के दुरुपयोग का कोई प्रश्न कभी नहीं उठा है और इसके जरिये प्राकृतिक आपदा और बीमारी के वक्त नागरिकों को वाकई मदद उपलब्ध कराई गई है। लेकिन इस कमेटी की संरचना राजनीतिक ही है क्योंकि सोनिया, बरुआ और राहुल को छोड़कर लगभग जितने भी कांग्रेसी पीएम रहे हैं वे कांग्रेस अध्यक्ष भी इस अवधि में बने रहे हैं। इसलिए इस विवाद के शोर ने जनता में इस फंड को लेकर मोदी से ज्यादा कांग्रेस पार्टी को सवालों के घेरे में ला दिया। इस विवाद का एक पक्ष यह भी लोगों के बीच स्थापित हुआ कि कांग्रेस अध्यक्ष की ताकत कम होने पर पार्टी यह शोर मचा रही है। यह एक तथ्य है कि निजी ईमानदारी और शुचिता के मामले में आज मोदी के आगे सार्वजनिक जीवन में कोई अन्य नेता टिक नहीं सकता है। जाहिर है जनता की नजर में मोदी की व्यक्तिगत ईमानदारी असन्दिग्ध होने से इस मामले में कांग्रेस को कुछ भी हासिल नहीं हुआ।


अब मोदी समर्थक यह प्रचार कर रहे है कि सोनिया गांधी की भूमिका खत्म होने से कांग्रेस पीएम केयर फंड को निशाने पर ले रही थी। जिस तरह अनावश्यक विवाद इस मुद्दे पर खड़ा किया गया उससे कांग्रेस और वामपंथी रक्षात्मक मुद्रा में हैं। बेहतर होता इस निर्णय का स्वागत किया जाता और भ्रष्टाचार पर मोदी को घेरने के स्थान पर विपक्षी नेता बीजेपी अध्यक्ष की तर्ज पर अपने सभी कार्यकर्ताओं से भी न्यूनतम 100 रुपए दान की अपील करते। इस मामले में मायावती ने जो लकीर खिंची है वह उनकी परिपक्वता को साबित करती है। इस मामले में मायावती ने सरकार के हर निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने अपने सांसद, विधायकों से भी 30 फीसदी कम वेतन और अन्य सहायता के निर्देश दिए हैं। वस्तुतः विपक्ष को यह अभीतक क्यों समझ नहीं आया है कि मोदी सार्वजनिक जीवन में एक बेदाग छवि रखते हैं, उनकी पारिवारिक विरक्ति की नजीर के आगे कोई नेता टिक नहीं पाया है।


 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को मजबूत करने में उनकी पार्टी, उनकी अपनी काबिलियत के समानन्तर विरोधियों का योगदान भी आनुपातिक रूप से कम नहीं है। प्रधानमंत्री के रूप में उनके हर निर्णय का अंधविरोध आखिरकार उनके लिए सियासी रूप से फायदेमंद ही साबित होता है। ताजा पीएम केयर फंड के गठन को लेकर की जा रही पीएम की आलोचना और सवालों के बीच विपक्षी नेता उसी लकीर को पीटते नजर आए जिसपर वे 2014 से लगातार मोदी के आगे शिकस्त झेलते आ रहे हैं। नये पीएम केयर फंड के गठन के साथ ही विपक्षी नेताओं और वाम बुद्धिजीवियों ने मोदी को इस फंड के जरिये भ्रष्टाचार में लपेटने की कोशिशें की। शशि थरूर, मनीष तिवारी से लेकर रामचन्द्र गुहा जैसे लोगों ने नेहरू द्वारा स्थापित प्रधानमंत्री राहत कोष के रहते पीएम केयर की आवश्यकता पर बड़े ही हमलावर अंदाज में सवाल उठाए। इसे सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई जहां न केवल याचिका खारिज हुई बल्कि याचिकाकर्ता को फटकार भी खानी पड़ी।
पूरा देश कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है। इससे निपटने के लिए शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक 'इमर्जेंसी फंड' का एलान किया। इसमें छोटी-बड़ी राशि दान में दी जा सकती है. इस रकम का इस्‍तेमाल मौजूदा संकट से निपटने में किया जाएगा। पीएम ने सभी लोगों से इस फंड में डोनेट करने की अपील की है।


क्‍या कोरोना वायरस के खिलाफ सरकार की इस मुहिम में आप भी शामिल होना चाहते हैं? क्‍या आप चाहते हैं कि आपके योगदान से सरकार के हाथ मजबूत हों? अगर हां तो हम बता रहे हैं कि आप प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष यानी पीएम केयर्स फंड में कैसे डोनेट कर सकते हैं।




 कोई भी नागरिक या संस्‍थान इसके लिए pmindia.gov.in पर जा सकता है और नीचे दिए गए ब्‍योरे का इस्‍तेमाल करते हुए डोनेट कर सकता है-

अकाउंट का नाम : पीएम केयर्स
अकाउंट नंबर : 2121PM20202
आईएफएससी कोड : SBIN0000691
स्विफ्ट कोड : SBININBB104
बैंक और ब्रांच का नाम : भारतीय स्‍टेट बैंक, नई दिल्‍ली, मुख्‍य शाखा
यूपीआई आईडी : pmcares@sbi

पेमेंट के लिए आप इन माध्‍यमों का उपयोग कर सकते हैं-
1. डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड
2. इंटरनेट बैंकिंग
3. आरटीजीएस/एनईएफट ..