...अब भारत देश पर टिड्डी अटैक !
नौ राज्यों तक फैला टिड्डियों का आतंक, प्रशासन ने निपटने के लिए कसी कमर
भारत पर टिड्डी अटैक !
राजस्थान में टिड्डियों का आतंक, 20 जिलों में 90,000 हेक्टेयर में फसलों को नुकसान
महाराष्ट्र में फसलों को किया भारी नुकसान
छिड़काव के लिए 89 दमकल विभाग की गाड़ियां तैयार
भारत में टिड्डियों के आतंक से बचने की चुनौती
त्रिनाथ कुमार शर्मा
देश इस समय कोरोना के खिलाफ एक निर्णनायक जंग लड़ रहा है। हर कोई इस वायरस से मुक्ति पाना चाहता है। लेकिन अभी ये जंग खत्म भी नहीं हुई है कि अब देश पर टिड्डी अटैक हो गया है। देश के कई राज्यों में टिड्ढियों ने अपना आतंक मचा दिया है। खेतों को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया जा रहा है। टिड्डियों के आतंक का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। राजस्थान के अलावा बाकी राज्य भी अब टिड्डियों की टोली से परेशान है। टिड्डियों की टीम का खतरा शहरों तक आ पहुंचा है। कई राज्यों ने इस मुसीबत से निपटने के कमर कस ली है राज्य के एक कृषि अधिकारी के अनुसार श्री गंगानगर, नागौर, जयपुर, दौसा, करौली और स्वाई माधोपुर से टिड्डियों के झुंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पहुंच गए हैं। टिड्डियों को मारने के लिए केंद्र की टीम के साथ ही राज्य के कृषि विभाग के अधिकारी लगे हुए हैं।
पाकिस्तान से आए टिड्डी दल ने देश के कई राज्यों की मुसीबत बढ़ा दी हैं। देश के नौ राज्यों पर टिड्डियों का खतरा मंडरा रहा है। इनमें राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल हैं। हालांकि, राज्य सरकार ने इनसे निपटने के लिए कमर कस ली है। साथ ही प्रशासन और किसान भी अलर्ट पर हैं। टिड्डियों के इन दलों को मानसून से पहले तक खत्म करने की तैयारी है, क्योंकि उस समय खरीफ की फसल तैयार होगी और ये उसको भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। केंद्र सरकार के टिड्डी चेतावनी संगठन (एलडब्ल्यूओ) ने बताया है कि ये टिड्डियां आने वाले महीनों में किसानों के आगे बड़ा खतरा उत्पन्न करेंगी। इन्हें मानसून से पहले तक खत्म करना जरूरी है, क्योंकि ऐसा नहीं करने पर फसलों को भारी नुकसान हो सकता है। वर्तमान में टिड्डियां राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में 303 जगहों पर 47 हजार 308 हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचा चुकी हैं।
टिड्डियों का दल बुधवार को उत्तर प्रदेश के झांसी पहुंच गया। झांसी मंडल के कृषि उप निदेशक कमल कटियार ने कहा कि इन टिड्डियों को भगाने की कोशिश की जा रही है। इन्होंने एक किलोमीटर के क्षेत्र को कब्जाया हुआ है। साथ ही कीटनाशकों का छिड़काव भी जारी है। इसके अलावा डीजे और बर्तनों से शोर भी किया जा रहा है, ताकि इन्हें भगाया जा सके। दूसरी तरफ, सूबे के ललितपुर, मथुरा और कानपुर देहात समेत 13 जिलों में सतर्कता बढ़ा दी गई है।
राजस्थान में हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि कृषि विभाग ने जयपुर में टिड्डियों के दल पर नियंत्रण पाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव किया है। इसके लिए बकायदा उन्होंने ड्रोन की मदद ली है। वहीं, दमकल विभाग की 89 गाड़ियों से भी छिड़काव की तैयारी की गई है। राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने टिड्डियों से निपटने के लिए 120 सर्वेक्षण वाहन और 810 ट्रैक्टर तैयार किए हैं, जिनसे दवा का छिड़काव किया जाएगा। बताया गया है कि छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में लाखों की संख्या में टिड्डियां आ सकती हैं। इस हमले के लिए प्रशासन पूरी तरह तैयार है। किसानों को इनसे बचने के लिए उपाय बताए जा रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि राजनांदगांव में जिला स्तरीय दल गठित किए गए हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि किसानों से चर्चा कर 20 ट्रैक्टर स्प्रेयर की व्यवस्था की जा रही है।
टिड्डियों के दल ने महराष्ट्र के नागपुर में भी प्रवेश कर लिया है। इस दल के रामटेक शहर की ओर बढ़ने की संभावना है। टिड्डियों का 17 किमी के इलाके में फैला दल पहले नागपुर के कोटल के फेत्री, खानगांव के खेतों में घुसा। इसके बाद इन्होंने वर्धा में संतरे और सब्जियों की फसल को नुकसान पहुंचाया।
किसी ने सोचा नहीं होगा कि कीड़े-मकोड़े भी ऐसी परेशानी बन जाएंगे कि इसे लेकर सरकार को हाईअलर्ट जारी करना पड़ेगा। कोरोना वायरस ने पहले ही बेहाल किया हुआ था, अब रही-सही कसर टिड्डियों ने पूरी कर दी। टिड्डियों ने सबसे ज्यादा मुसीबतें किसानों के सामने खड़ी की हैं और कई राज्यों में खलबली मचाई हुई है। खड़ी फसलों को चौपट कर रही हैं। इस वक्त खेतों में आम, कद्दू, खीरा, खरबूजा, तरबूज, लौकी, करेला व पान की फसलें लगी हैं, टिड्डी दल इन्हें जमकर नुकसान पहुंचा रहे हैं। टिड्डियों का आगमन पांच-छह माह पहले सरहद पार पाकिस्तान से हुआ था। वहां से हिंदुस्तान पहुंची लाखों की तादाद में टिड्डियों ने बड़े पैमाने पर फसलों को बर्बाद करना शुरू कर दिया है। टिड्डियों ने सबसे पहले बाॅर्डर से सटे राजस्थान, पंजाब और गुजरात में उत्पात मचाना शुरू किया। जहां कई एकड़ फसलों को नुकसान पहुंचाया। इसे पाकिस्तान की साजिश भी नहीं कह सकते क्योंकि वह खुद टिड्डियों से परेशान रह चुका है। पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत के इलाके में हजारों एकड़ खड़ी फसलों को टिड्डियों ने चौपट कर भारत का रुख किया।
टिड्डियों का हमला बीते साल दिसंबर से आरंभ हुआ है। टिड्डियों ने सबसे पहले गुजरात तबाही मचाई। अनुमान के तौर पर सिर्फ दो जिलों के 25 हजार हेक्टेयर की फसल तबाह होने का आंकड़ा राज्य सरकार ने पेश किया है। टिड्डियों के आतंक को देखते हुए गुजरात सरकार ने प्रभावित किसानों को 31 करोड़ रुपये मुआवजे का ऐलान किया है। वैज्ञानिकों की मानें तो इस किस्म की टिड्डी पांच महीने तक जीती हैं। इनके अंडों से दो सप्ताह में बच्चे निकल सकते हैं। वहीं, संयुक्त राष्ट्र के उपक्रम फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक एक वर्ग किलोमीटर इलाके में आठ करोड़ टिड्डी हो सकती हैं। एक साथ चलने वाले टिड्डियों का एक झुंड एक वर्ग किलोमीटर से लेकर कई हजार वर्ग किलोमीटर तक फैल सकता है। पाकिस्तान से दिसंबर में हिंदुस्तान में जितनी संख्या में टिड्डियां आईं थीं, अब उनसे सौ गुना की वृद्वि हो चुकी है। इनके प्रजनन का सिलसिला लगातार जारी है। केन्या, इथियोपिया और सोमालिया टिड्डियों के आतंक से सबसे ज्यादा आहत हुए। कई सालों तक वहां टिड्डियों का आतंक रहा। इस समय जो टिड्डियां फसलों को बर्बाद कर रही हैं वह न पाकिस्तान की जन्मी हैं और न भारत की। अफ्रीका के इथियोपिया, युगांडा, केन्या, दक्षिणी सूडान से निकलकर ओमान होते हुए पाकिस्तान और उसके बाद भारत पहुंची हैं।
नई की किस्म ये टिड्डियां कुछ ही घंटे में फसलों को चट कर जाती हैं। ये टिड्डियां छह-आठ सेंटीमीटर आकार की कीड़ानुमा हैं, इनकी खासियत यही है ये हमेशा लाखों-हजारों की समूह में उड़ती हैं। टिड्डियों का दल एक साथ खड़ी फसलों पर हमला करता है। पाकिस्तान सरहद से भारत के तीन राज्य राजस्थान, पंजाब और गुजरात की सीमाएं मिलती हैं। इन तीन राज्यों में सर्दियों के वक्त टिड्डियों ने जमकर कहर बरपाया था। अब ये दूसरे राज्यों में फैल गई हैं। खेतों में इस वक्त ज्यादातर हरी सब्जियां और फलों की फसलें उगी हुई हैं, जिनकी मुलायम पत्तियों को टिड्डियां चबा-चबाकर बर्बाद कर रही हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार के किसान इनके आतंक से खासे परेशान हैं। किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए दिन-रात चौबीस घंटे खेतों की रखवाली कर रहे हैं। टिड्डियों को भगाने के लिए कई देशी और आधुनिक तरीके अपना रहे हैं। महिलाएं ढोल और बर्तन लिए खेतों में खड़ी हैं। आवाज से टिड्डियां कुछ समय के लिए तितर-बितर हो जाती हैं लेकिन जैसे ही आवाज धीमी पड़ती हैं टिड्डियों का झुंड फिर हमलावर होता है। औरैया, इटावा, एटा जिलों में लोग टिड्डियों को भगाने के लिए पानी की बौछारें कर रहे हैं। कीटनाशक स्प्रे भी कर रहे हैं लेकिन टिड्डियां फिर भी नहीं भागतीं।
फरवरी माह में टिड्डियों के आतंक से पाकिस्तान की भी सांसें फूल गई थीं। टिड्डियों ने उन्हें इस कदर परेशान कर दिया था कि इमरान खान को पाकिस्तान में राष्ट्रीय आपातकाल तक घोषित करना पड़ा। टिड्डियां नहीं भगाने को लेकर पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों ने राजनीतिक मुद्दा बना दिया था। तब बकायदा इमरान खान ने टिड्डियों को लेकर एक जांच टीम भी गठित की थी। टिड्डियां कहां से आई इसकी तह तक वह जांच टीम भी नहीं पहुंच पाई। उनके वैज्ञानिकों का बड़ा दल और कृषि मंत्रालय लगातार खोज में लगा रहा, उन्हें भी सफलता नहीं मिली। कमोबेश, वैसी ही स्थिति कुछ हमारे यहां भी बनी हुई है।
उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकार सबसे ज्यादा परेशान है। परेशान होकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार से टिड्डियों से निपटने को लेकर मदद मांगी है। राजस्थान में अभीतक हजारों एकड़ फसलें टिड्डियों के आतंक से चौपट हो चुकी है। आकाश में मंडराती टिड्डियां एकसाथ फसलों पर हमला करती हैं। उन्हें भगाने के कारण कुछ लोग घायल भी हुए हैं। टिड्डियों ने किसानों पर भी हमला किया है। मधुमक्खी की भांति टिड्डियां इंसानों पर हमलावर हो रही हैं। टिड्डियां इंसानों की आंखों पर चोट मारती हैं। राजस्थान को पार कर टिड्डियां पंजाब में भी दस्तक दे चुकी हैं। पंजाब में भी टिड्डियों को लेकर सतर्कता बरतनी शुरू हो गई है। खेतों में ढोल-नगाड़ों का इंतजाम किया हुआ है। टिड्डियों के झुंड को देखते ही किसान तेजी से ढोल बजाने लगते हैं। ढोल की आवाज सुनकर टिड्डियां भाग जाती हैं।