...अब वो समय आ गया है, जब वर्टिकल फार्मिंग दुनिया में छाने वाली है
...अब वो समय आ गया है..जब वर्टिकल फार्मिंग दुनिया में छाने वाली है

...अब मौसम कोई हो...आप हर तरह की फसल उगा पाएंगे

...आप अपनी मनचाही सब्जी या फिर फलों की खेती कर सकेंगे

रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में मिट्टी रहित खेती पर प्रयोग शुरू हो रहा है

 

ब वो समय आ गया है..जब वर्टिकल फार्मिंग दुनिया में छाने वाली है। आंधी तूफान आए..ओले पड़े...भारी बारिश हो जाए या फिर भीषण गर्मी हो..आप अपनी मनचाही सब्जी या फिर फलों की खेती कर सकेंगे..अपने खेत में..। अब मौसम कोई हो...आप हर तरह की फसल उगा पाएंगे। ये मुमकिन हुआ है...खेती की नई तकनीक के चलते जिसका नाम है 'हाइड्रोपोनिक कल्टीवेशन । इस तकनीक के जरिए बिना मिट्टी के..हवा में उगा करेगी फसल। रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में मिट्टी रहित खेती पर प्रयोग शुरू हो रहा है। इस खेती में बड़े-बड़े डोम बनाकर उसे प्लास्टिक शीट से ढंक दिया जाता है। उसके अंदर रैक्स लगाकर प्लास्टिक ट्रे में पौधे उगाए जाते हैं। ट्रे में रेत, नारियल के रेशों का पावडर और पत्थर के टुकड़ों के साथ ही पोषक तत्व डाले जाते हैं। रेत और पत्थर को आसानी से जीवाणु रहित बनाया जा सकता है जबकि मिट्टी में ये संभव नहीं होता। डोम के अंदर वातावरण को नियंत्रित करने के लिए कुछ उपकरण लगाए जाते हैं और जितनी जरूरत हो..उतना पानी या खाद दिया जाता है। यहां हवा और प्रकाश की मात्रा को भी नियंत्रित किया जा सकता है। मिट्टी में पौधे नहीं उगे होंगे..इसलिए उनका सारा पोषण नियंत्रित ढंग से मिल सकेगा। मिट्टी के बिना खेती होने से उसमें मौजूद जीवाणुओं और दूसरे कीटों का प्रकोप भी इस फसल पर नहीं होता। ऐसे में कीटनाशकों का इस्तेमाल भी लगभग नहीं होता है। इस तकनीक से उगाई गई फसल एक तरह से आर्गेनिक फसल के ही समान होती है और इसकी गुणवत्ता भी मिट्टी में उगने वाली फसल की तुलना में बेहतर होगी । इस तरह की खेती का एक फायदा ये भी है कि इस पर मौसम की प्रतिकूलता का असर भी नहीं पड़ता। गर्मी हो या बारिश या फिर ठंड फसल डोम के अंदर सुरक्षित रहती है। ऐसे में किसानों को अब मौसम की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। इतना ही नहीं बेमौसम फल सब्जियां उगाने से किसानों की आमदनी भी कई गुना बढ़ जाएगी क्योंकि उस समय उनकी कीमत ज्यादा मिलती है।