लखनऊ। भ्रष्टïचार के प्रति जीरो टॉलरेंस वाली सरकार और ईमानदार अपर मुख्य सचिव के होते हुए भी पूर्व कृषि निदेशक ने नियम-कानून को ताक पर रखकर अपने रिटायरमेंट से एक दिन पूर्व अपनी जेब भरने के लिए जहां महत्वपूर्ण और कमाई वाली योजनाएं कनिष्ठï अफसरों यानी संयुक्त कृषि निदेशकों को सौंपने का आदेश जारी कर चलते बने वहीं पूर्व कृषि निदेशक के इस कृत्य से कई अपर कृषि निदेशक ठगा महससू कर रहे हैं। इस मुद्दे पर शासन के आला अफसरों ने चुप्पी साध ली है।
उल्लेखनीय है कि शासन ने कृषि विभाग में केन्द्र और प्रदेश की विभिन्न महत्वपूर्ण कृषि योजनाओं के पर्यवेक्षण का कार्य अपर कृषि निदेशक स्तर के अफसरों को सौंप रखा है। मिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकनाइजेशन (एसएमएएम), मिशन ऑन सीज एंड प्लॉटिंग मैटेरियल (एसएमएसपी), पराली प्रबंधन योजना, राष्टï्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई), पूर्वी उत्तर प्रदेश में हरित क्रांति योजना (बीजीआरईआई), प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना वर्षा जल संचयन हेतु खेत-तालाब एवं स्प्रिकंलर सिंचाई प्रणाली योजना (पीएमकेएसवाई), सोलर फोटो वोल्टिक इरीगेशन पम्प की स्थापना/पीएम कुसुम योजना, वर्मी कम्पोस्ट योजना किसानों के हितों के लिए चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं का भारी-भरकम बजट है।
कृषि विभाग के सूत्रों का कहना है कि अपने कारनामों के लिए कुख्यात पूर्व कृषि निदेशक सोराज सिंह ने अपने रिटायरमेंट 31 जुलाई के दिन तक ऐसे-ऐसे आदेश कर सरकार और अपर मुख्य सचिव कृषि की ईमानदारी पर प्रहार किया है। रिटायरमेंट के एक दिन पूर्व यानी की 30 जुलाई 2020 को पूर्व कृषि निदेशक नियम-कानून को ताक पर रखकर अपर कृषि निदेशक के पर्यवेक्षण वाली योजनाओं का कार्य सुविधा शुल्क उपलब्ध कराने वाले कनिष्ठï अफसरों को सौंप गए। पूर्व कृषि निदेशक ने मिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकनाइजेशन (एसएमएएम) योजना को उप कृषि निदेशक प्रशिक्षण, मिशन ऑन सीज एंड प्लॉटिंग मैटेरियल (एसएमएसपी) संयुक्त कृषि निदेशक (अभियंत्रण), पराली प्रबंधन योजना संयुक्त कृषि निदेशक (अभियंत्रण), राष्टï्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) संयुक्त कृषि निदेशक (उर्वरक), पूर्वी उत्तर प्रदेश में हरित क्रांति योजना (बीजीआरईआई) संयुक्त कृषि निदेशक (नियोजन), प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना वर्षा जल संचयन हेतु खेत-तालाब एवं स्प्रिकंलर सिंचाई प्रणाली योजना (पीएमकेएसवाई) संयुक्त कृषि निदेशक (अभियंत्रण) और वर्मी कम्पोस्ट योजना संयुक्त कृषि निदेशक (बाढ़ोन्मुखी) को दी गई हैं। जबकि शासन ने इन महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी अपर कृषि निदेशक स्तर को सौंपी है। सूत्रों का कहना है कि इस फेरबदल के लिए पूर्व कृषि निदेशक सोराज सिंह ने कई संयुक्त निदेशक से काफी सुविधा शुल्क लिया है।
पूर्व कृषि निदेशक सोराज सिंह ने कहा कि सामान्यता सीनियर का काम जूनियर को दिया जा सकता है। इसलिए यह अपर कृषि निदेशक के कार्य जूनियर संयुक्त कृषि निदेशकों को दिया गया है। अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी से कई बार सम्पर्क करने और मैसेज देने के बावजूद उनकी प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।